अगर होता मैं भगवान

अगर होता मैं भगवान
मैं होता परे इंसान
हृदय में विराजता सबके
कोई मनुष्य ना रहता दबके

सिखलाता सबको अंतर है ईश्वर और अंधविश्वास में
मूल्य होता हर विचार और मनुष्य के हर श्वास में
बचाता मैं इंसान को प्रकोप से इंसान के
अगर होता मैं समान परमात्मा या भगवान के ।

न्याय की मशाल उज्वलित करता मैं इस समाज में
और ना कोई प्राणी मुकरे उसके कर्तव्य और काज से
सहिष्णुता के मार्ग पर चलेगी धरती अभिमान से
अगर मैं तुलना करूँ अपनी परमात्मा या भगवान से ।

महिला के अधिकार पर आँच न आने दूँगा
उसके सम्मान पर  किसी को हानि न पहुँचाने दूँगा
शिष्टाचार की ज्योति जला मैं दूँगा शान से
अगर मैं तुलना करूँ अपनी परमात्मा या भगवान से ।

समाज के विशैले तत्वों को जड़ से वंचित करता
मातृभूमि की सेवा की सोच मस्तिष्कों में भरता
सिखाता जमूरियत की परिभाषा , परिणाम बताता दान के
अगर होता मैं समान परमात्मा या भगवान के ।

एक युग का मैं निर्माण करूँ, जहाँ कंधे मिलाकर चले सभी
मानवता का सूरज इस दुनिया से ना ढले कभी
इस परिवर्तन की हिलोर आती मन में इंसान के
अगर होता मैं समान परमात्मा या भगवान के ।।

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