गुलाबी शहर पर लगा दाग़

जिस सुंदर शहर का गुलाबी ताज है
जिस शहर को अपने इतिहास पर नाज़ है
जिस शहर को देखने आता पूरा संसार
वही शहर आज हो चला गंदगी का शिकार

अपने घर को साफ़ रखना मानते ज़िम्मेदारी हैं
लेकिन शहर को साफ़ करने में कोई ना भागीदारी है
क्या शहर तुम्हारा घर नहीं जिसे गंदा करते तुम सभी
इसने तुम्हें जन्म दिया इसका ऋण तुम चुकाओगे कभी ।

सरकार को दोष देते सभी कभी ख़ुदमें झाँककर देखा है
सरकार को ताने मारने की एक लक्ष्मण रेखा है
दोषी है वो व्यक्ति जिसे तुम शीशे में निहारते हो
कचरा फैला के क्यों शहर की गरिमा को मारते हो

अपने अंतर्मन से पूछो, क्या तुमने सही किया
जयपुर के सुंदर मुख पर कैसा दाग़ लगा  दिया
अपनी नहीं तो नयी पीडी का सोच
 शहर को साफ़ करने में मत कर संकोच

कर शपथ कि गंदगी तू कभी ना फैलाएगा
कर शपथ कि इस शहर की सुंदरता वापस लाएगा
कर शपथ कि गुलाबी शहर को अव्वल दर्जे पर पहुँचाएगा
कर शपथ कि  तू उम्मीद की ज्वाला बन कर आएगा

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